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डर / लाल्टू
Kavita Kosh से
मैं सोच रहा था कि उमस बढ़ रही है
उसने कहा कि आपको डर नहीं लगता
मैंने कहा कि लगता है
उसने सोचा कि जवाब पूरा नहीं था
तो मैंने पूछा — तो।
बढ़ती उमस में सिर भारी हो रहा था
उसने विस्तार से बात की —
नहीं, जैसे ख़बर बढ़ी आती है कि
लोग मारे जाएँगे।
मैंने कहा — हाँ।
मैं उमस के मुखातिब था
यह तो मैं तब समझा जब उसने निकाला खंजर
कि वह मुझसे सवाल कर रहा था।