भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

डाकिया ओ डाकिया! / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डाकिया ओ डाकिया!
लाना मेरी चिट्ठी।
भूल नहीं, भूल नहीं
आना मेरी चिट्ठी।

चिट्ठी तरे आएगी
दूर से चल के,
मोटर से, रेल से
रस्ते बदल के,

रस्ते में ही न
गुमाना मेरी चिट्ठी।
डाकिया ओ डाकिया!
लाना मेरी चिट्ठी।

चिट्ठी में नानी के
आशीष होंगे,
अच्छे-भले शब्द
दस-बीस होंगे,

देर नहीं करना,
दिखाना मेरी चिट्ठी।
डाकिया ओ डाकिया!
लाना मेरी चिट्ठी।