एक माथा दूसरे से
दूसरा तीसरे से
तीसरा चौथे से...सातवें से...दसवें से
भिड़ा-टकराया,
हर माथा अलग-अलग बोला
अलग-अलग मुँह फेर ताका
एक-दूसरे को डाँटा
दिशा-ज्ञान बाँटा
ज़रा भी चली हवा कि माथा
माथे से टकराया
लड़ा-झगड़ा
एक ही धड़ पर आँखें मटकाता ।
लेकिन अन्दर-अन्दर रावण के ये
दस-दस माथे
रहे सोचते एक ही बात
एक ढंग से एक ही बात
रावण के ये दस-दस माथे ।