रतन पंडोरवी को यादगारे-सलफ कहा जाये तो बे-जा न होगा। ज़िन्दगी से रुस्तखेज़ी नेक मक़ासिद के लिए सालिह जद्दोजहद, हिल्म की ख़ू, सब्र की आदत, अदब से इबादत की हद तक महब्बत, मौजूदा नुमाइश और तन आसानी की तरफ़ माइल ज़िन्दगी के दौर में बाज़ ऐसी वाज़िह हक़ीक़तों हैं जो हमारे अस्लाफ़ की याद ताज़ा करती है। जिन तीर अंदाज़ों का तीर सीधा होता है उन का निशानी ख़ता नहीं करता। जो शुअरा मकतब की तालीम और बुज़ुर्गों के फैज़ान से सेराब हो चुके हैं वो शिद्दते-एहसास से शायरी को भी मुतआस्सिर करते हैं। रतन पंडोरवी भी एक ऐसी ही शख्सियत के मालिक शायर हैं। उन की ग़ज़लियात में एक खास रख रखाव और तासीर मिलती है जिसे महसूस करना ही पड़ता है। इस वक़्त पंजाब में रतन पंडोरवी का दम ग़नीमत है।