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डोम और स्त्री / निकिता नैथानी
Kavita Kosh से
जब एक डोम और एक स्त्री
होते हैं प्रेम में
तब वे गहराई से समझते हैं
एक दूसरे की
भावनाओं की गहराई
सम्मान की कीमत और
सबसे बढ़कर प्रेम को ।
प्रेम, जिसके बल पर
वो लड़ जाते हैं
समाज के ठेकेदारों से
जातियों के और मजहबों के रखवालों से
बिना जान की परवाह किए ।
तब वे करते हैं शुरुआत
एक नई दुनिया की
जो परे होती है घृणा,
अपमान और बेड़ियों से ।
जहाँ सब बाँटकर खाते हैं
रोटियों को
जहाँ नहीं मारा जाता किसी को
जाति, धर्म या इज़्ज़त के नाम पर …।