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डोर / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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प्रिय व्यक्ति से
कितनी ही
प्रिय बातें
कहना रह जाता है

अधूरी बातें ही
बनती है ज़िन्दगी का आधार
प्रेम की डोर बान्धे रखती है
ज़िन्दगी भर।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत