डाली उठा के कहरिया
बढ़ोॅ संभली उगरिया।...
उठलै तूफान आय सगठैं ललकारै
बाधे दहाड़ै साँपो फूफकारै
कुत्ता कानै छै नगरिया, बढ़ोॅ...
सगरो छै कचकच, छीन-छोर झगड़ा
चामोॅ के थैला पर, कुत्ता के पहरा
छीनै नै कोइये बहुरिया, बढ़ोॅ...
साधू कोय संत, कोय रबन्हौ निहारै
ऊॅच-नीच, भेद-भाव, सपना विचारै
घरोॅ लागै छै अन्हरिया, बढ़ौॅ...
उटका पैंची करै छै उधारोॅ
छीन-छोर झगड़ा मिंघाड़ै किनारोॅ
सगरो उठै छै लहरिया, बढ़ोॅ...
कहै छै मथुरा डोली निहारोॅ
लूटै नै लाज अरे पगड़ी सम्हारोॅ
कान्होॅ नै छूटै कहरिया, बढ़ोॅ...