भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ढाँक लो उसे, उसे ढाँक लो / मराम अल मासरी / देवेश
Kavita Kosh से
मेरा हृदय काँपता है
ठीक उस
नँगे नवजात शिशु
की तरह
माँ के गर्भ से
बाहर आते ही
जिसे
त्याग दिया गया ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश