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ढूँढता है आज साजन / बाबा बैद्यनाथ झा

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ढूँढता है आज साजन
दिल चुराकर मुस्कुराना
दूर जाकर फिर लजाना
दौड़कर जाता निकट तो
शीघ्रता से भाग जाना
याद आती है पुरानी
वह बरसता मेघ सावन

नयन काजल बांक चितवन
हृदय घायल और तन मन
प्यार में दोनों तड़पते
है मुझे वह याद उपवन
काश! वे दिन पुनः आते
दृश्य वैसा मन लुभावन

प्रेयसी से दूर जाना
अन्य से फिर दिल लगाना
बोझ-सा लगने लगा अब
लुप्त जीवन का तराना
तोड़ सारे बंधनों को
आ निभा दो प्रेम पावन