ढेर दिनन के बाद खेत में,
उपजल सगरो धान रे।
जइसन आस जगइलक अदरा,
ओइसने टूट के बरसल बदरा।
तपल कियारी- बंजर- पोखर,
लेलकइ जुड़ा परान रे।
लमहर बाल डाल पर झुमय,
बढ़ के हवा एकर मुँह चूमय।
ओस नहाल देख के घसियन,
सपना होलय जुआन रे।
मुँह बइने कोठी भर जइतय,
धिया बैठ कोहबर में गइतय।
दु:खदायी रतिया बीतल,
जिनगी में होलय बिहान रे।।