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तनिक धीरज / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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कि लौटेंगे
सुनहरे दिन
तनिक धीरज धरो तो तुम

अभी अभिसार
के दिन हैं
धरा-घन के तनिक सोचो
जुटे निर्माण
में दोनों
अभी इनको नहीं टोको

तुम्हारा मन
बडा उन्मन
तनिक धीरज धरो तो तुम

पहुँचने दो
अमृत बूँदें
धरा की कोख में कुछ अब
बुये जो बीज
हैं हमने
लगेंगे कुनमुनाने अब

यही ईश्वर
सुदर्शन है
तनिक धीरज धरो तो तुम

सकल ब्रह्माण्ड
में माया
उसी की सब जगह पसरी
ठहर करके
जरा देखो
उसी की सृष्टि है सगरी

हँसेंगे कल
अचर, चर सब
तनिक धीरज धरो तो तुम