तनै खोले नहीं किवाड़ देख रहा बाट चौबारे आळी / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों चाप सिंह अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाता है। एक अर्सा गुजर जाता है। चाप सिंह एक बार फिर बादशाह से छुट्टी के लिए निवेदन करता है कि महाराज मेरे घर पतिव्रता स्त्रिी है वह मुझे बहुत याद करती है। उस समय शेरखान भी वहीं होता है और वह पतिव्रता के नाम पर चाप सिंह का उपहास करता है। आखिरकार शेरखान और चाप सिंह की शर्त लग जाती है कि अगर शेरखान यह साबित कर दे कि चाप सिंह की पत्नी पतिव्रता नहीं है तो चाप सिंह फांसी के फंदे पर चढ़ जायेगा और यदि साबित न कर सका तो शेरखान को फांसी चढ़ना होगा।
प्रेमी सज्जनों शेरखान अपनी योजना को सफल बनाने के लिए एक दूती को अपनी चाल का मोहरा बनाने की सोचकर दूती के पास जाता है और क्या कहता है-
मनै गिण कै दे लिए बोल तीन सौ साठ चौबारे आळी
तनै खोले नहीं किवाड़ देख रहा बाट चौबारे आळी।टेक
तेरे तैं सै काम जरूरी तूं कती गोलती कोन्या
मैं खड़या गाळ में रूक्के मारूं तूं कती बोलती कोन्या
गेट खोलती कोन्या के होगी लाट चौबारे आळी।
जागा मीची सी होरी थी टूटै थी अंगड़ाई
कौण गाळ में रूक्के मारै फेर देग्या बोल सुणाई
देहळीयां धोरै आई छोड़कै खाट चौबारे आळी।
तेरे हाथ में तीर निशाना आज इसनै चलवादे
के तै उसनै आड़ै बुला ना मनै उड़ै मिलवादे
कोए खास निशानी ल्यादे कर द्यूं ठाठ चौबारे आळी।
मरण जीण की शर्त लागरी ना इस मैं झूठ कती
उसका पति फौज में जा रह्या घर पै एकली सोमवती
उसके पति का नाम मेहर सिंह जाट चौबारे आळी।