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तन मन सदा सुरभित रहे वह प्यार दे माँ शारदे / रंजना वर्मा

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तन मन सदा सुरभित रहे वह प्यार दे माँ शारदे।
मेरे हृदय को प्रीति का उपहार दे माँ शारदे॥

रूठे कभी कोई नहीं नित कर्म ऐसा श्रेष्ठ हो
व्याकुल हुआ मन स्नेहमय मनुहार दे माँ शारदे॥

आरूढ़ होकर हंस पर नित शुभ्रता विस्तारती
वैसी विमल मति का सदा विस्तार दे माँ शारदे॥

माता चरण में शीश यह झुकता रहे श्रध्दा सहित
पायें कृपा का दान यह अधिकार दे माँ शारदे॥

संसार में उलझाव तो विचलित करें पग-पग सदा
निर्मल विवेकी बुद्धि का संचार दे माँ शारदे॥

सम्पूर्ण मानव जाति के दुख दूर हों यह यत्न हो
हर जीव को कल्याणप्रद व्यवहार दे माँ शारदे॥

चलते रहें दिन रात अपने स्वार्थ के ही साथ हम
है मोह की सरिता प्रबल अब तार दे माँ शारदे॥