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तमाम रंग से गुज़री है छोटी उम्र मेरी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

तमाम रंग से गुज़री है छोटी उम्र मेरी
फिर भी लगता है कोई रंग अभी बाक़ी है

मैं कल कहाँ हूँ कुछ भी मुझे मालूम नहीं