तलवारें दोधारी क्या
सुख-दुःख बारी-बारी क्या
क़त्ल ही मेरा ठहरा तो
फांसी, खंजर, आरी क्या
कौन किसी की सुनता है
मेरी और तुम्हारी क्या
चोट कज़ा की पड़नी है
बालक क्या, नर-नारी क्या
पूछ किसी से दीवाने
करमन की गति न्यारी क्या
तलवारें दोधारी क्या
सुख-दुःख बारी-बारी क्या
क़त्ल ही मेरा ठहरा तो
फांसी, खंजर, आरी क्या
कौन किसी की सुनता है
मेरी और तुम्हारी क्या
चोट कज़ा की पड़नी है
बालक क्या, नर-नारी क्या
पूछ किसी से दीवाने
करमन की गति न्यारी क्या