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तलाशें चलो हम भी चाहत किसी की / रंजना वर्मा
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तलाशें चलो हम भी चाहत किसी की
चलो आज कर लें इबादत किसी की
कभी हीर रांझे से पायी न मिलने
नहीं वस्ल पाती मुहब्बत किसी की
कराये न दीदार हम को सनम का
नहीं चाहिये ऐसी सोहबत किसी की
लिखे नाम दिल जैसी जागीर कोई
मिले प्यार वाली वसीयत किसी की
भरे होंगे गुलशन गुलों से अगरचे
गुलों में झलक जाये सूरत किसी की
बसे तुम रहो यदि नयन के निलय में
रहेगी न कोई जरूरत किसी की
मिला जो मज़ा साँवरे के भजन में
भला है कहाँ ऐसी लज़्ज़त किसी की
मुहब्बत का पैगाम सब को सुना दो
करे अब न कोई ख़िलाफ़त किसी की
फ़सल नफरतों की जो फूली फली तो
करेगा न कोई मुरव्वत किसी की