तसव्वुर किसी ने किया हो किसी का
कि रिश्ता यही है ख़ुदा आदमी का
पता मौत का भी वही दे सकेगा
दिया जिसने इसको पता ज़िन्दगी का
करो पार पहले अँधेरों की बस्ती
मिलेगा तभी जा के घर रोशनी का
कहूं क्या इसी को मैं रहमत ख़ुदा की
मिला बाद मुद्दत जो लम्हा ख़ुशी का
बहुत ख़ूब ख़लक़त ने समझा है ख़ालिक़
कि समझे न जो वो करिश्मा उसी का