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ताईजी, ओ ताईजी / उषा यादव

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छोटी-सी यह बात आपने,
बोलो, क्यों बिसराई जी?
ताईजी, ओ ताईजी।

ज्यों ही बिस्तर छोड़ा प्रात,
करी सफाई की शुरुआत।
इसको झगड़ा, उसको पौंछा,
सचमुच कितनी अच्छी बात।
घर के हर कोने-अतरे में
झाड़ू तुरत लगाई जी।
ताईजी, ओ ताईजी।

घर का कचरा सभी बटोर,
झटपट ताक-झाँक चहुँ ओर,
नीचे दिया गली में फेंक,
जाकर के छज्जे की ओर।
मन ही मन खुश होकर सोचा,
सबकी नजर बचाई जी।
ताईजी, ओ ताईजी।

ऐसा ही यदि सब सोचेंगे,
छज्जे से कूड़ा फेकेंगे।
गली आपकी गंदी होगी,
मक्खी औ मच्छर पनपेंगे।
फैली बीमारी तो समझो
शामत सबकी आई जी।
ताईजी, ओ ताईजी।