परिवार ने कहा
‘सुनाएं कविता!’
मुरैना स्टेशन से गुजरती ट्रेन से मैंने पूछा
‘कविता है यह या है कच्चा अनुभव!’
मैं यात्रा के कच्चे अनुभवों की खोजता रहा लय
धान के खेतों ने पूछा
‘कब सुनी थी मेरी लहरदार तान!’
फिर मैं चुपचाप साधता रहा
अनुभव की ताजी लयकारी!