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तारीक बेबसी से गुज़रना पडेगा, यार! / राम मेश्राम

तारीक-ए-बेबसी से गुज़रना पडेगा, यार !
बिल्कुल नहीं के पार उतरना पडेगा, यार !

अम्बेडकर की ज़िंदगी जीने की शर्त है
तुमको हज़ार हादसे मरना पडेगा, यार !

कोरे दलित-विमर्श के फैशन में झूमती
शोहरत की ख़्वाहिशों से मुकरना पडेगा, यार !

अम्बेडकर के बुत की इबादत को छोडकर
बन्दानवाज़ियों से उबरना पडेगा, यार !

सत्ता का सुख निहारती नेतागिरी को भूल
ख़ालिस लहूलुहान निखरना पडेगा, यार !

जल्दी अमीर होने की अंधी उडान का
बेताब पर हमें ही कतरना पडेगा, यार !

दलितों में हम दलित हैं, कुलीनों में हम कुलीन
हमको समाज-सच पे ठहरना पडेगा, यार !

आएँगे रोज़-रोज़ कहाँ ज्योतिबा फुले
हमने किया, हमीं को सुधरना पडेगा, यार !

हिर्सो-हवस में सड़ रहे हिंसक समाज की
मिट्टी में बीज बन के बिखरना पडेगा, यार !