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तारे गिन गिन के शब परेशां है / देवी नांगरानी
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तारे गिन गिन के शब परेशां है
देखकर चाँद उसको हैरां है
फूल ख़ुश रंग, बू की सुहबत में
मुख़्तसर ज़िन्दगी परेशां है
उसके साथी गए, अकेला वो
जाने कितने दिनों का महमां है
घर तबाही के मोड़ पर आया
अब तो रब तू ही इक निगहबां है
खुशबू घेरे है इस तरह मुझको
मेरी सांसों में इक गुलिस्तां है
नुक्तः-चीनी किया करो अपनी
‘देवी’ अपना भी इक ग़रेबां है