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तिरंगा / शिवनारायण / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
पाकोॅ के नापाकी खेल
दुनियौ तेॅ देखी नी कुछ।
लाहोरोॅ में गला मिलै छै
करगिल में विष बोकरै छै।
हेनोॅ दूमुहियाँ साँपोॅ केॅ
कौनें दूध पिलाबेॅ जाय
जेकरोॅ दूध पीयै, पीबी केॅ
डंकोॅ मारै ओकरै छै।
भारत माय के पूत उठोॅ तोंय
थकुचोॅ हेनोॅ नागोॅ केॅ
दास-बटालिक केॅ दाँतोॅ सें
आ जिहां सें खोखरै छै।
आकि शांति अपहर्त्ता केॅ
ओकरे बिल में ओकरा भेजोॅ
जे टाइगर पर झंडा गाड़ेॅ
यश हाथोॅ में ओकरै छै।