तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है 
न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है 
किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म 
गिला है जो भी किसी से तेरे सबब से है 
हुआ है जब से दिल-ए-नासुबूर बेक़ाबू 
कलाम तुझसे नज़र को बड़े अदब से है 
अगर शरर है तो भड़के, जो फूल है तो खिले 
तरह तरह की तलब तेरे रंगे-लब से है 
कहाँ गए शबे-फ़ुरक़त के जागनेवाले 
सितारा-ए-सहरी हमक़लाम कब से है