तीज / रंजना जायसवाल
आकाश ने भेजा है
धरती को हरितालिका तीज
लेकर आये हैं भाई बादल
हरी साड़ी चूड़ियाँ हरी
फल मिठाइयाँ खूब
किशोरी से युवती हो रही नदियाँ
उमड़ रही हैं देखकर बादलों को
मछलियों की चमक रही हैं आँखें
नाच रहे हैं मोर
गा रहे हैं दादुर
सीप और घोंघों में भी पड़ गयी है जान
बस तिलमिला रही है अकेली ननद धूप
छिपती -फिरती इधर -उधर
कि कब जायेंगे मुए बादल
और कायम होगा फिर से उसका राज
खुशी से उछल रही है धरती
रचा रही है मेहँदी झूल रही है झूला
गा रही है कजरी जबकि रो रहे हैं
भोकार पार बादल
देखकर बरस बाद बहन को पूछती है
धरती - गये थे क्या छोटी के पास भी रेगिस्तान?
भाई हैरान कि है एक बहन और
सुदूर रेगिस्तान सोच रहे हैं
वे -तो इसीलिए जाते हैं बड़े भैया
बहाने से कभी-कभार रेगिस्तान
बता रही है धरती छोटी ने किया था
प्रेम -विवाह बहिष्कृत होकर सबसे
रेत-रेत हो गयी भुगत रहे हैं
खमियाजा आज भी उसके बेटे पेड़
बहन तो आखिर बहन होती है वो भी सहोदरा
रोती है धरती मुँह पर डाल कर आँचल
करते हैं बादल वादा उससे
जायेंगे जरूर किसी न किसी सावन
छोटी को लेकर तीज हरी साड़ी चूड़ियाँ हरी
फल मिठाइयाँ खूब