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तीनो बहिने / श्रीनाथ सिंह
Kavita Kosh से
बड़ी खिलाड़ी तीनों बहिनें।
तीनों बहिनें तीनों बहिनें
बड़ी खिलाड़ी तीनों बहिनें।
एक बन गई घोड़ा गाड़ी और दूसरी रेल।
और तीसरी ऊँट बन गई लटकी नाक नकेल।
खेल मजे में खेल मेल से तीनों बहिनें।
तीनों बहिनें तीनों बहिनें ,
बड़ी खिलाड़ा तीनों बहिनें।
एक बन गई सूरज सुन्दर बनी दूसरी तारा।
बनी तीसरी चन्दामामा जो है सब से प्यारा।
गुड़ियों का खुला पिटारा।
तीनों बहिनें तीनों बहिनें,
लगीं खेलनें तीनों बहिनें।