तीन कानून बणाकै नै किसान धरती कै मारया रै / रणवीर सिंह दहिया
तीन कानून बणाकै नै किसान धरती कै मारया रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
1.
काले कानून वापिस ल्यो इक्सठ दिन दिल्ली मैं होगे
किसानी एकता जिंदाबाद के नारे बीज एकता के बोगे
एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
2.
लागत खेती की बढ़गी यो म्हारा ख़र्चा ख़ूब होवै
तीन बिल और पास करे जिनका चर्चा ख़ूब हुया
म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
3.
भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां
तीन हज़ार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां
सिर पै कर्जा तीस हज़ार टूट्या पड़या यो ढारा रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
4.
बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं
छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं
छोरे हांडैं गालां मैं घरक्याँ का चढ़ज्या पारा रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
5.
घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले
या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले
किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥
6.
किसान मज़दूर छोटे व्यापारी पै नज़र धरी बुरी सै
तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी सै
रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा रै॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै॥