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तीन बांदरा / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
अेक बांदरो-
जिको
देखणौ नीं चावै
दूजो-
जिको
बोलणौ नीं चावै
अर तीजो-
जिको
कीं कैवणौ ई नीं चावै
कियां निवड़सी
अबखायां
अबै
दीठ बदळगी
मिनखां री।