वे देखती हैं लगातार
अनिश्चित भविष्य के अँधेरे में
वे ढँकी हैं कि
किसी को उघाड़ कर
दिखा नहीं सकतीं अपना मन
उदास हैं वे
कोई उत्तेजित उम्मीद नहीं है
उनकी आँखों में,
बस्स्, एक तैयारी है
उन कामों की
जो पड़ने वाले हैं उनके ज़िम्मे
आने वाले दिनों में
हमेशा के लिए।