मोह-माया कहैय संजय, अरजुन विषाद योग।
कि भेलैय तबे राजन! सुनू हो सांवलिया॥
वही बेरिया तीरबो कमान डारि अरजुन।
शोक से विकल होई गेलैय हो सांवलिया॥
थर थर करैय गात सिर झूकि झूकि जात।
रथवा के पीछु बैंठी गलैय हो सांवलिया॥
मोह-माया कहैय संजय, अरजुन विषाद योग।
कि भेलैय तबे राजन! सुनू हो सांवलिया॥
वही बेरिया तीरबो कमान डारि अरजुन।
शोक से विकल होई गेलैय हो सांवलिया॥
थर थर करैय गात सिर झूकि झूकि जात।
रथवा के पीछु बैंठी गलैय हो सांवलिया॥