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तुझको संसार सार / रमेश रंजक

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तुझको संसार-सार
तेरी ही धड़कनें सिखाएँगी
बार-बार ।

साँसों के पास बैठ
साँसों की बात सुन
तेरी सीमाओं में
गूँजेगी एक धुन
धुन के अनखुले अर्थ
गुनता जा लगातार ।

बड़ी कष्टदायी है
अन्तर-आराधना
सहज नहीं भीतर की
भाषा को साधना
सिद्धा है, जड़ता को
कर देगी तार-तार ।