भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुमको दुनिया का दिखलाया दिखता है / विक्रम शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमको दुनिया का दिखलाया दिखता है
ये बतलाओ आँखों मे क्या दिखता है?

तुमको देख लिया है अब हम क्या देखे?
मंजिल से कब कोई रस्ता दिखता है

किसको दिल का हाल सुनाकर हल्के हो
जिसको देखे अपने जैसा दिखता है

हमने दुनिया देखी तो ये भूल गए
जो दुनिया था अब वो कैसा दिखता है?

आँखे बंद करी तो तुमको देख लिया
मैं ना कहता था अँधेरा दिखता है