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तुमने एक फूल को देख लिया है / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
तुमने एक फूल को देख लिया है तालाब की इन्द्रियों में गुलाबी रिसते
भैंस की कालिख़ से सुबहो-शाम ख़ून पीते हुए जीव
और वह साँप जिसे पहली बार मानुष की आँख ने देखा है
कोई सच है जिसकी पुतलियों में सूर्य के साथ बाँस के बिम्ब
एक शिशु जानता है कि एक चाँद निकलता है उसकी प्याली से
तुम नहीं जानते उस मोम के मर्म को जो जलती है तुम्हारी मेज़ पर ---
यह पृथ्वी जो एक हस्तलिखित पँक्ति है
पृथ्वी की डूबती हुई सतह पर