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तुमने नाम कमायो पवन सुत / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तुमने नाम कमायो पवन सुत,
तुमने नाम कमायो
होतऊं से सूरज खों लीलो,
जग कीन्हों अंधियारो।
पवन सुत तुमने नाम कमायो।।
देवन जाय करी जब बिनती
देवन कष्ट निवारो।
पवन सुत तुमने नाम कमायो।।
सात समुन्दर तुमने नाके
काहे खो सेतु बंधायो।
पवन सुत तुमने नाम कमायो।।
लंका बात तनिक सी कहिए
रामचन्द्र भटकायो।
पवन सुत तुमने नाम कमायो।।
तुलसीदास आस रघुबर की
हरि चरनन चित लायो।
पवन सुत तुमने नाम कमायो।।