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तुमन नि आयेंव / शंकर लाल नायक

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कराके इंतिज़ार
तुमन नइ आयेंव

कीरिया के बात
तुमन बिसरायेँव

अंगना गली
दौड़े लगायेव

आहीच कहीं के
आस लगायेँव।

पथरागे नजर
तुमन नइ आयेंव

संझाती बेरा
बिस्तरा विछायेँव

मन के डेहरी
सुरता ल सजायेँव

कराके सिंगार
तुमन नइ आयेंव

मुंह ल ढांक के
दिल जलायेंव

भाग ल कोसत
आंसू बहायेंव

बढाके पियार
तुमन नइ आयेंव