भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुमसे प्रेम करते हुए-तीन / कमलेश्वर साहू

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


इस मायावी और क्रूर दुनिया में
हमारे समय में प्रेम का अर्थ संघर्ष हो
हमारे समय में प्रेम का अर्थ प्रतिरोध हो
हमारे समय में प्रेम का अर्थ
दुनिया को बदलने का स्वप्न हो
हमारे समय में प्रेम का अर्थ मुक्ति हो
हमारे समय में प्रेम का अर्थ
सिर्फ प्रेम न हो
हो तो प्रेम का मतलब वह संबंध न हो
जो इन दिनों पनप रहा है
खास तबके के युवक-युवतियों के बीच
युवाओं में प्रेम को लेकर
फैलाया जा रहा है जो भ्रम
वह न हो
वह तो कतई न हो
जिस अर्थ का
बाजार कर रहा है
प्रचार
प्रेम बिल्कुल भी नहीं है
वस्तु, देह, अस्थायी जरूरत
इस्तेमाल या व्यापार !