Last modified on 15 सितम्बर 2011, at 11:50

तुम्हारी देह ही तो है / नंदकिशोर आचार्य


रात भर बरसती है बर्फ
प्यार की तरह
छा लेती है घाटी को
मुझ पर भी छा जाती है

पहली बर्फ-सा यौवन !
झरते जल-सा निर्मल सौन्दर्य !
बाँहें फैलाये देवदार-सी उमंग !
गर्म सोते-सा वह स्पर्श !

तुम्हारी देह ही तो है
बर्फ से ढँकी यह घाटी
मुझे तुम तक पहुँचाती है।

(1977)