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तुम्हारी प्रफुल्ल कोमलता ने / ओसिप मंदेलश्ताम
Kavita Kosh से
तुम्हारी
प्रफुल्ल कोमलता ने
मुझे व्याकुल किया
थोड़ा-सा
क्यों
उदास बातें
करती हो तुम
तब
जब
तुम्हारी आँखें
चमकती हैं
ऐसे
जैसे
भरे-पूरे दिन में
जले मोमबत्ती
भरे-पूरे दिन में
वहाँ दूर
बहुत दूर तक
मिलन की स्मॄतियाँ
झुके हुए कन्धे
और एक आँसू
जो
इस कोमलता को
तुम्हारी
और बढ़ाता है
(रचनाकाल : 1909)
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Осип Мандельштам
Твоя весёлая нежность
Твоя весёлая нежность
Смутила меня:
К чему печальные речи,
Когда глаза
Горят, как свечи,
Среди белого дня?
Среди белого дня…
И та — далече —
Одна слеза,
Воспоминание встречи;
И, плечи клоня,
Приподымает их нежность.
1909 г.