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तुम्हारी याद ने इतना तो बेक़रार किया / रंजना वर्मा

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तुम्हारी याद ने इतना तो बेक़रार किया
मिले जो ख़्वाब में ख़्वाबों पे ऐतबार किया
 
कभी खुला ही नहीं बन्द दरीचा दिल का
मेरी उमीद ने मुझको ही शर्मसार किया

जरा निगाह उठा राह उजाली कर दे
है अँधेरों ने मुझे तेरा तलबगार किया
 
कसकती चोट पे मरहम लगा लूँ यादों का
इरादा ये भी तो दिल ने हजार बार किया

गली गली जो रहा बेच मेरी चाहत को
कहूँ क्या मैंने उसे ही तो राज़दार किया

चले थे पाटने खाई जो हम मुहब्बत से
बढ़ा के नफ़रतें चौड़ा क्यों वो दरार किया

हुआ धुंधलका तो चूनर फटी अंधेरे की
किरन ने आ के उसे और तार तार किया