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तुम्हारी याद / सुमन केशरी
Kavita Kosh से
बड़ा मन है कि तुम्हारे लिए
एक प्रेम कविता रचूँ
और आज क्योंकि चौदह फ़रवरी है
चलन भी कुछ देने का
फिर मन भी है
तो सोचा एक कविता रचूँ अपन–तुपन के बारे में
कुछ जग-जाहिर
कुछ जग से छिपी
अब क्यों कि हर सम्बंध अपने मे यूनीक होता है
अन्ना केरेनिना के प्रथम वाक्य–सा
तो एक टीस ऊब उभरी
जीवन की पहली स्मृत-घटना–सी
अन्ना याद आई
याद आया प्लेटफार्म पर भीगता
तृषित ब्रोन्स्की
एक हल्की याद किटी की
व्यथा लेविन की
असमंजस या क्रोध केरेनिन का
पर लो कहाँ से कहाँ
चली गई मैं
अब ऐसी अनअनन्यता भी क्या
प्रिय !