भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारे दिल की दुनिया को नज़र में ले के जाऊँगा / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे दिल की दुनिया को
नज़र में लेके जाऊँगा
करोगी याद कुछ ऐसी
निशानी देके जाऊँगा

तुम्हारे हुस्न पर मिट कर
दिवाना बन के आया हूँ
तुम्हे भी इश्क़ में अपने
दिवाना कर के जाऊँगा

सुनो ऐ रूप की रानी
क़सम तेरी, मुहब्बत की
अगर जाना पडा मुझको
तुम्हें भी लेके जाऊँगा

तुम्हें जब तक न देखा था
तमन्नाएँ न थी कोई
मगर अब सब तमन्नाओं को
पूरा कर के जाऊँगा