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तुम्हारे लिए लिखता हूँ, तुम्हें नहीं लिखता / रुद्र मुहम्मद शहीदुल्लाह / प्रशान्त विप्लवी

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मैं तुम्हें कविता में नहीं लिखता हूँ
गीत में भी नहीं ।
 
क्योंकि मेरे गीत
मेरी सभी कविताएँ
सिर्फ़ तुम्हारे निमित्त ही लिखी गई हैं ।

तुम्हें कभी भी अपने स्वप्न में नहीं देखता हूँ
सोचता भी नहीं हूँ तुम्हारे बारे में
क्योंकि मेरी भावनाएँ और तमाम सपने
तुम्हारे लिए हैं
सिर्फ़ तुम्हारे लिए ।

चाँद आकाश के लिए आता है
या आकाश चाँद के लिए
ये सब बहुत तर्क की बातें हैं,
मैं तुम्हारे लिए लिखता हूँ
लेकिन तुम्हें कभी नहीं लिखता हूँ ।

मूल बांग्ला से प्रशान्त विप्लवी द्वारा अनूदित