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तुम्हें छोड़ने के बाद, बाद में ... / बैर्तोल्त ब्रेष्त / देवेन्द्र मोहन

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तुम्हें छोड़ऩे के बाद, बाद में
उस बड़े आज में
मुझे कुछ नहीं दिखा, लेकिन जब
देखना शुरू किया, सब कुछ उल्लसित था ।

उस शाम से, उस पल से
जानती हो किस का ज़िक्र है
मेरी चाल में थिरकन है और ज़्यादा
ख़ूबसूरत बन चुका है मेरा चेहरा ।

बहार है, अब महसूस होता है,
चारागाह, झाड़ियों और पेड़ों पर,
वह जल, जिसे मैं अपने पर उड़ेलता हूँ
है ठण्डक प्यारापन लिए हुए ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेन्द्र मोहन