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तुम्हें देखे ज़माने हो गए हैं / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
भरी है धूप ही धूप
आँखों में
लगता है
सब कुछ उजला उजला
तुम्हें देखे ज़माने हो गए हैं