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तुम इतिहास बदलते रहना / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
बदलेगा भूगोल देश का
तुम इतिहास बदलते रहना।
चाहे भीषण आँधी आये
या तूफान गगन को घेरे,
मावस की काली रजनी में
घर-घर छाये घोर अँधेरे,
झंझावातों में भी हरदम
दीप धर्म है जलते रहना।
चाहे हो चोटी बर्फीली
या सागर की हो गहराई
चाहे आगे आये पथ में
कदम-कदम पर गहरी खाई,
सरहद की निगरानी खातिर
तुम हर वक्त संभलते रहना।
जितनी भी बाधाएँ आएँ
सबको हँसकर गले लगाना,
अपने पैरों को संकट में
कांटों पर चलना सिखलाना
मंजिल निश्चय ही आयेगी
तुम अपने पथ चलते रहना।
बदलेगा भूगोल देश का
तुम इतिहास बदलते रहना।