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तुम करीब / रश्मि विभा त्रिपाठी

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1
यही मुराद
कि हमेशा आऊँ मैं
तुमको याद।
2
तेरे ही लिए
मन्नतों के ये धागे
पूजा के दिए।
3
तू गले लगा
जिन्दगी का अरमाँ
फिर से जगा!
4
दो जहान में
तुम्हीं ने दुआएँ दीं
मुझे दान में।
5
तुम करीब
दो जहाँ की दौलत
मुझे नसीब।
6
बुझी है प्यास
नदिया- से हो तुम
जो मेरे पास।
7
एक लहर
तुम नदी की, छू लूँ
तृप्त अधर।
8
तुम वो शख्स
जिसमें मुझे दिखा
मेरा ही अक्स!
9
हुई अधीर
तुम्हें गले लगाया
तो मिटी पीर।
10
तेरी महक
मेरी साँस- साँस में
अब तलक।
11
तुम संग हो
मेरा सादा जीवन
गाढ़ा रंग हो!
12
रात को जागूँ
टूटते तारे से मैं
तुमको माँगू।
13
नेह ने सींचा
हरियाया मन में
एक बगीचा।
14
दिन जो ढला
तुम्हारी याद आई
लेने बदला।
15
हाथ जो गहा
छुअन से उतरा
जो ताप सहा!
16
लगी जपने
जब तुम्हारा नाम
खिले सपने!
17
तुम्हीं भाँपते
दर्द की आँधी में जो
हम काँपते।
18
सँवार दिया
ये जीवन तुमने
यों प्यार दिया।
19
कहाँ, किधर
क्या देखूँ?, तुम्हीं पर
टिकी नज़र।
20
उठाके हाथ
सज़दे में माँगती
तुम्हारा साथ।
21
ताबीज जब
तेरी दुआ का बाँधा
डर क्या अब?
22
तुम्हारी दुआ
मेरा रक्षा कवच
मुझे क्या हुआ?
23
जिया विकल
तुम बिन आँखों में
छाए बादल!
24
तुम वाकई
बिछड़े तो आँखों में
घटा छा गई!
25
यही चाहत
तुम बाहें फैला दो
मिले राहत!
26
तुमसे आज
मिलके सिद्ध हुई
पूजा, नमाज।
27
मेरी आशा का
तुम हो आसमान
भरूँ उड़ान!
28
तुमसे रिश्ता
जुड़ा तो भर गया
घाव रिसता!
29
मेरी कहानी
सूखे- सी, बारिश का
तुम हो पानी!
30
तुम्हीं से होता
मेरा जी तृप्त, तुम
मीठा- सा सोता!
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