बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
तुम खाँ देखौ भौत दिनन में।
अबलाखा ती मन में।
हमरी तुमरी प्रीत पुरानी।
छूटी वाला पन में।
दरसन दियौ न्यारे परकें,
छिप जिन जाव सकन में
हम तुम इक संगे खेले हैं।
मथुरा बिन्द्रावन में।
भली करा दई भेंट ईसुरी,
विध नैं येइ जनम में।