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तुम गये तो साँस जैसे थम गयी / रंजना वर्मा

तुम गये तो साँस जैसे थम गयी ।
वेदना मन में सिमट कर जम गयी।।

कौन सा है देश वह यह तो कहो
चेतना जा कर तुम्हारी रम गयी।।

बादलों की गर्जना से काँपती
पा तुम्हारा विरह आज सहम गयी।।

थी अधूरी अर्चना आराधना
आरजू या प्रार्थना वो कम गयी।।

दूर है मंजिल न कोई रास्ता
जिंदगी बन दर्द का परचम गयी।।

आंसुओं को तो नहीं गिरने दिया
पुटलियाँ लेकिन नयन की हम गयी।।

जिंदगी जैसे कोई मेहमान थी
ले के अपने साथ स ही वहम गयी।।