तुम जैसा मनमीत नहीं है / विशाल समर्पित
कसम खुदा की खाकर कहता तुम जैसा मनमीत नहीं है
जितनी सुन्दर तुम हो उतना, सुन्दर मेरा गीत नहीं है
पगभर हमसे चला न जाता थककर इतने टूट गए
तुम्हे मनाने की जिद में प्रिय खुद से ही हम रूठ गए
फिर भी जाने क्यूँ लगता है, तुमको मुझसे प्रीत नहीं है
जितनी सुन्दर तुम हो उतना, सुन्दर मेरा गीत नहीं है
पाँव थिरकने लगें तुम्हारे गीतों के सुर पर मेरे
आओ अमर संगीत सुनाऊँ सर रख लो उर पर मेरे
सुन्दर धड़कन से ज़्यादा, प्रिय कोई भी संगीत नहीं है
जितनी सुन्दर तुम हो उतना, सुन्दर मेरा गीत नहीं है
तुम्हे निहारूँ प्रियतम जी भर इतना तो अधिकार मुझे
अब आ भी जाओ जीवन में प्रत्येक शर्त स्वीकार मुझे
प्रेम की पावन शर्तों मे प्रिय, हार नहीं है जीत नहीं है
जितनी सुन्दर तुम हो उतना, सुन्दर मेरा गीत नहीं है