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तुम जो रहस्यवादी हो / फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ
Kavita Kosh से
तुम जो रहस्यवादी हो,
हर चीज़ में ढूँढ़ते हो मायने ।
हर चीज़ के हैं तुम्हारे लिए अस्पष्ट अभिप्राय ।
जो कुछ भी देखते हो तुम, उसमें है कुछ छिपा हुआ ।
जो कुछ भी देखते हो तुम, देखते हो, कुछ और देखने के लिए ।
मैं, जिसके पास हैं केवल देखने के लिए आँखें,
सब चीज़ों में देखता हूँ मायनों की अनुपस्थिति ।
और यह देख कर, ख़ुद से प्यार करता हूँ मैं,
क्योंकि
एक चीज़ होने का अर्थ है, कुछ भी न होना.
एक चीज़ होने का अर्थ है न होना वश में किसी व्याख्या के ।