तुम नादान हो अभी / ऋतु त्यागी
तुम नादान हो अभी
जानते नहीं ज़िंदगी की गुस्ताख़ियाँ
रोते हो
तो पल भर में ढूँढ लाते हो हँसी के टुकड़े
मैं तुम्हारी हँसी के वही टुकड़े
अपने बटुए में रखकर
रोज़ ले जाती हूँ अपने घर
और अपने घर की हवा में
घोल देतीं हूँ उन्हें
पर मैंने तुम्हारी हँसी के कुछ टुकड़े
सँभालकर रख लिए हैं अपने बटुए में
मुझे मालूम है कि आज
स्कूल के बेशक़ीमती दरवाज़े से बाहर
निकल जाओगे तुम
पर याद रखना
कि हर खुला दरवाज़ा
एक नई मंज़िल की तलाश है
इस रास्ते में बहुत से पत्थरों से
मुलाकात होगी तुम्हारी
उन पत्थरों से तुम टूटना पर बिखरना नहीं
बिखरना तो समेट लेना ख़ुद को
और अगर ज़िंदगी हँसना भुला दे
तो पीछे मुड़कर देखना
मेरे बटुए में तुम्हारी हँसी के वही टुकड़े
अभी सुरक्षित पड़ें है
चाहो तो ले जाना उन्हें।